तेरे जैसा क़ोई... हिंदी शायरी
तेरे जैसा कोई...
तकदिर का भी अजीब खेल है।
जिंदगी के किस मोड पर
कौन कब मिल जाये
ये कह नही सकते।
कभी - कभी तो
ऐसा कुछ मिल जाता है।
जिसको कभी सपनों में
नहीं सोच सकते।
कैसे कोई इतना भी
कमाल का हो सकता है।
जिसके बारे में सोचकर
सिर चकरा जाता है।
कैसे कोई इतना
हसीन हो सकता है।
हर पल जैसे
अपनाही लगने लगता है।
क्यों इस दुनिया से थोड़ा
अजीब लगने लगता है।
इस खामोश दिल मे जैसे
खुशियों का मेला लगता है।
इतने दिन दिल को
अकेला समझता था।
अब मानो इस जिंदगी में
मुझे कोई अपना लगता है।
उसके ही बारे में सोचकर
दिल मे कुछ अजीब होता है।
उसकी ही यादों में
दिल हर दिन परेशान राहत है।
- आनंद पाटिल
Post a Comment