काश कभी ऐसा होता |Kash Kabhi Aisa Hota |हिंदी कविता
काश हम हवा का रुख समझ लेते,
तो शायद, अनहोनी को टालने की,
थोड़ी कोशिश तो करते।
काश समय को थोड़ी देर और रोक लेते,
तो शायद, जीवन मे खड़े रहने की,
थोड़ी कोशिश तो करते।
काश बारिश को थोड़ा रोक लेते,
तो शायद, खुद को बहने से,
थोड़ा रोकने की कोशिश तो करते।
काश लगी आग को थोड़ा रोक लेते,
तो शायद, खुद को जलने से,
थोड़ा रोकने की कोशिश तो करते।
काश हम हातो की लकीरो को पढ़ लेते,
तो शायद, अपने तकदीर को खुशियां से,
भरने की कोशिश तो करते।
काश हम किसीका चेहरा पढ लेते,
तो शायद, कौन अपना और कौन पराया,
थोड़ा समझने की कोशिश तो करते।
काश हम कभी बड़े हो ना पाते,
तो शायद, अपने बचपन को,
थोड़ा और जीने की कोशिश तो करते।
काश हम दिल को पत्थर का बना पाते,
तो शायद, दिल को टूटने से,
थोड़ा बचाने की कोशिश तो करते।
काश जीवन मे कुछ दिन और मिल जाते,
तो शायद, जिंदगी को अच्छी तरह से,
थोड़ा जीने की कोशीश तो करते।
कवि- आनंद कदम
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